कैमोमाइल की खेती

कैमोमाइल की खेती

हर्बल-टी आज नए ज़माने की चाय है। इसका बाज़ार अंतरराष्ट्रीय हो चुका है। बाज़ार में तरह तरह की Herbal Tea मिल रही हैं जिसमें कई तरह की जड़ी-बूटियां, फूल, वनस्तियों का इस्तेमाल किया जा रहा है। खास बात ये है कि उत्तराखंड के प्रगतिशील किसान भी हर्बल खेती पर ज्यादा ज़ोर देने लगे हैं। इन्हीं में से कुछ किसानों ने हर्बल टी की चुस्कियों को अपनी तरक्की का जरिया बना लिया।

वैसे तो ये फूलों की खेती है। विदेशों में इस फूल को कैमोमाइल टी के नाम से जाना जाता है। इस फूल (चाय) की खेती उत्तराखंड में कई जगह हो रही है। इसके नतीजे लाजवाब आए तो दूसरे किसानों ने भी इसे अपनाना शुरू कर दिया। अब उत्तराखंड के कई किसान इस कैमोमाइल की खेती से मुनाफा कमाने में जुट गए हैं। कैमोमाइल के फूलों से चाय की पत्ती तैयार होती है। बाद में परिपक्व फूलों से ही Chamomile Oil / कैमोमाइल तेल निकाला जाता है। कैमोमाइल तेल आयुर्वेदिक दवाइयां बनाने के काम आता है। कैमोमाइल एक नगदी फसल है। Chamomile Oil बाजार में 60 से 90 हजार रुपये लीटर तक बिकता है। यही नहीं इसके बीज बेचकर भी किसान मुनाफा कमाया जा सकता हैं। दुनिया के कई देश ऐसे हैं जो तनाव से जूझ रहे हैं ऐसे में भारत से कैमोमाइल का एक्सपोर्ट काफी बढ़ गया है।

सर्दी का मौसम Chamomile की खेती के लिए उपयुक्त

Chamomile / कैमोमाइल की बुवाई अक्तूबर महीने में होती है। ठंड का वक्त इसकी खेती के लिए उपयुक्त माना जाता है। खेत की जुताई करके पाटा लगाने से पहले नीम खाद व केंचुआ खाद डालनी चाहिए। फूलों की कटाई पांच-छह बार होती है। 25-30 दिन के अंतराल में फूलों की कटाई की जा सकती है। फरवरी तक 15 दिन के अंतराल पर और उसके बाद सात दिन के अंतराल पर सिंचाई करनी होती है। गेंहू कटने से पहले इसकी खेती समाप्त हो जाती है।

Chamomile / कैमोमाइल की खेती में बड़ा मुनाफा

कैमोमाइल की खेती की खास बात ये है कि रासायनिक कीटनाशक या खाद का इस्तेमाल नहीं होता, जिससे चाय और तेल की प्रकृति हर्बल रहती है। और यही इसके एक्सपोर्ट की बड़ी क्वॉलिटी है। इसकी खेती में दस से 12 हजार प्रति बीघा लागत आती है। एक बीघा में करीब 30 किलो फूल निकलते हैं, जिनकी कीमत लगभग 12 हजार से 20 हज़ार तक आंकी जाती है। इसके अलावा प्रति बीघा तीन लीटर तेल का भी उत्पादन होता है। तेल की बाजार में औसतन कीमत एक लाख रुपये तक रहती है।

हेल्थ के लिए अच्छी है Chamomile Tea / कैमोमाइल चाय


कैमोमाइल चाय में मौजूद कई एंटीऑक्सीडेंट और एंटीबैक्टीरियल तत्व हैल्थ के लिए बेस्ट माने जाते हैं। कैमोमाइल में फ्लवोनॉइड्स नामक एंटीऑक्सीडेंट त्वचा संबंधी समस्याओं में काफी लाभदायक होता है।कैमोमाइल सदियों से शारीरिक और भावनात्मक स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं को ठीक करने के लिए चाय के तौर पर इस्तेमाल में लाई जाती है। इसे हर सुबह उबलते पानी से भरे कप में 4-5 मिनट एक टी बैग मिला कर पिएं, ये अनिद्रा को कम करने में मदद करता है।

अनिद्रा और अन्य नींद की गड़बड़ी, चिंता और घबराहट के दौरे, माइग्रेन, मांसपेशियों में मरोड़, घाव, जलन और खरोंच, सोरायसिस एक्जिमा, चिकनपॉक्स और डायपर रैश जैसी त्वचा की स्थिति, मासिक धर्म में ऐंठन, पेट में फ्लू और अल्सर जैसी पेट की समस्याओं के लिए कैमोमाइल का इस्तेमाल हितकारी माना गया है। लंबे समय तक पीने से आपके मधुमेह और कैंसर जैसे रोगों का खतरा कम हो सकता है। यह आंखों के चारों ओर काले घेरे को कम करने और त्वचा की टोन को हल्का करने में भी मदद करता है। काली मिर्च टकसाल (मेंथा पिपरिटा) काली मिर्च टकसाल चाय सबसे व्यापक रूप से एक है. (ऑनलाइन लेखों के मुताबिक)

कैमोमाइल तेल / Chamomile Oil भी है गुणों से भरपूर


कैमोमाइल तेल में मौजूद एंटी आक्सीडेंट शरीर में एंटी-एजिग की तरह काम करता है और त्वचा को स्वस्थ और जवां रखने में मददगार होता है।ह्रदय संबंधित रोगों में भी ये तेल काफी कारगर होता है। यही नहीं कैंसर के खतरों को भी कम करता है।आंखों की विभिन्न बीमारियों में भी Chamomile Oil लाभकारी होता है।

कैमोमाइल एक ऐसा फूल है जिसे हम जादुई फूल कह सकते है इसके सूखे फूलों की बहुत मांग हैं! इसके फूलों से निकला तेल बहुत महंगा  बिकता है !इसके  सूखे  फूलों से बनी चाय जहाँ हमें स्फूर्ति देती है वहीँ इसके फूलों को नहाने के पानी में मिला कर नहाने से शरीर स्वस्थ रहता है !

*कैसे और कब करें कैमोमाइल की खेती* :-

खेती की शुरुवात अक्टूबर माह में इसका बीज बो कर की जाती है , यह समय इसकी खेती के लिए बहुत अनुकूल होता है !
साथ ही खेत की जुताई करके पाटा लगाने से पहले नीम खाद व केंचुवा खाद का प्रयोग किया जाता है ! खाद का प्रयोग 500 किलो प्रति एकड़ के हिसाब से किया जाना आवश्यक है !इसके बाद लगभग 1 महीने के अंतराल पर इसे प्रत्यारोपण किया जा सकता है !
कैमोमाइल के फूल के लिए भी आपको ज्यादा समय तक इंतज़ार नहीं करना पड़ता है और इसके फूलों की कटाई लगभग 25 दिन के बाद की जाती है ! इसके फूलों की कटाई कुल 5 से 6 बार होती है और वो आप 25 से 30 दिन के अंतराल में कर सकते है !

*क्यों करें जर्मन कैमोमाइल की खेती* :-


कैमोमाइल की खेती में बहुत कुछ खास है!इसकी खेती पूर्णतः जैविक खेती पर आधारित है इसमें किसी भी प्रकार के कीटनाशक या उर्वरक का प्रयोग नहीं होता है!
यदि इसमें किसी प्रकार का किट या कीड़ा लग भी जाता है तो इसे सिर्फ नीम ऑइल का छिड़काव करके दूर किया जा सकता है ! नीम ऑइल का छिड़काव एक एकड़ खेती में एक लीटर किया जाता है ! फ़रवरी तक 15 दिनों के अंतराल पर और उसके बाद 7 दिनों के अंतराल पर प्रयोग होता है !

*क्यों मुनाफे की खेती है जर्मन कैमोमाइल की खेती* ;-

मुख्य रूप से कैमोमाइल की खेती इसके फूलों से ऑइल निकालने के लिए की जाती है ! एक एकड़ जमीन पर कैमोमाइल की खेती करके किसान भाई  लगभग 6 से 8 लीटर ऑइल प्राप्त कर सकते है ! एक लीटर ऑइल की कीमत लगभग 20 हजार रुपये से लेकर 40 हजार रूपये लीटर है इस प्रकार किसान के कुल शुद्ध आय की बात करें तो वो 6 से 7 माह की खेती में एक एकड़ से लगभग डेढ़ से 2 लाख तक की आय प्राप्त कर  सकते हैं ! अन्य प्रकार के लाभ की बात करें तो किसान भाई इसकी चाय तैयार करके और बीज बेच कर भी मुनाफा कमा सकते है !

*कैमोमाइल के फायदे और उपयोग* ;-
जर्मन कैमोमाइल फूल से तैयार की जाने वाली सारी चीजे पूरी तरह हर्बल और खुसबूदार होती है ! इससे तैयार होने वाली चाय में कई तरह के एंटीऑक्सीडेंट और एन्टीबैक्टीरिअल तत्व मौजूद होते है ! जिनका सेवन स्वास्थ के लिए काफी लाभकारी होता है ! चाय में फ्लेवोनोइड्स नामक  एंटीऑक्सीडेंट पायी जाता है जो किसी भी प्रकार के त्वचा सम्बंधित समस्याओ के लिए काफी फायदेमंद होता है महिलाओ के लिए कैमोमाइल बहुत लाभकारी मानी जाती है ।

*क्या है कैमोमाइल ऑइल में एंटीऑक्सीडेंट होने के लाभ* :-

यह शरीर में एंटी एजिंग की तरह  काम करता है और त्वचा को  हमेशा जवान रखने में कारगर है !
यह शरीर में ह्रदय सम्बंधित सभी तरह के रोगो में भी कारगर है !
यह शरीर में कैंसर के खतरों को कम करता है !
आँखों से सम्बन्धी सभी समस्याओ में लाभकारी है !

*केमोमाइल की खेती के समय कौन सी सवाधानियां बरतनी चाहिए* :-

 क्रमोमाइल की खेती में अगर आप लाभ प्राप्त करना चाहते हैं तो इसमें आपको कई बातो का ध्यान रखना होगा सबसे पहले इसे लगाते वक़्त देशी खाद डालकर ,पाटा लगाकर सूखे खेत में पौधे लगाए और इसमें साथ साथ पानी डालें ! इसके बाद खेत में अलग अलग क्यारी या हिस्से बनाये  और खेत की नमी को देखते हुए पानी का प्रयोग करें ! इसकी खेती में किसी भी प्रकार का खरपतवारनाशक का प्रयोग न करें !अंत में मुख्य  बात यह की फसल  लगाने के बाद किसी भी प्रकार का खाद नहीं डालना है !

इस प्रकार किसान भाई इसकी खेती से सफलता का एक नया अध्याय लिख सकते है।
*कैमोमाइल की खेती करने के लिए संपर्क करें*
इस विषय पर किसी भी प्रकार की जानकारी के लिए आप कॉल कर सकते है  8235862311
औषधीय खेती विकास संस्थान 
www.akvsherbal.com
सर्वे भवन्तु सुखिनः 

Comments

  1. बढ़िया जान कारी दी है आपने

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  2. Sir mujhe or jankari chahiye

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  3. बीज कहा मिलेगा बिकेगा कहा 9415837214

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    1. बढीया जानकारी दी है आपने सरजी धन्यवाद

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