Sowing of Ashwagandha



Sowing of Ashwagandha


अश्वगन्धा/ चिया / कलौंजी  के सभी किसान भाई खेत की 2-3 बार जुताई कर लें  साथ ही गहरी जुताई करवाकर उसमे अच्छी गोबर की खाद मिलवा लें!
अश्वगन्धा लगाने की 2 विधि है:-

एक जिसमे बीज़ को छिटक कर बोया जाता है:-

इस विधि में बीज़ को रात भर के लिए भिगो कर बीजोपचार कर लीजिए
सुबह उसे निकाल कर सूखे स्थान पर बिखराकर थोड़ा भरभरा कर लीजिए
इस विधि में खेत की तैयारी आप इस प्रकार कर सकते है!




पट्टी आप अपने हिसाब से खेती की ढाल के अनुसार बना सकते है ! वैसे 5 फुट की एक पट्टी बनाने से खरपतवार निकलवाने में आसानी होती है ! इस तरह से खेत बना कर आप बीज़ को मिट्टी में मिला कर छिटक सकते है और पानी दे सकते है ।
यदि पानी की समश्या हो तो क्यारियां या पट्टी की साइज आप छोटी छोटी कर सकते है ।


 यदि बीज़ छिड़कने के बाद ऊपर से हल्की बारिश हो जाये तो सोने पर सुहागा है।
तब आपको पानी देने की आवश्यकता नही है।


दूसरी विधि में आप कुछ ऐसा कर सकते है।


जिनके पास ड्रिप है वे इस विधि से लाभ ले सकते है!
इस विधि से ज्यादा  बरसात् में फ़सल बची रहती है!
ऊंचाई के कारण ज्यादा पानी गिरने से फ़सल को कोई नुकसान नही होता है!
याद रहे अश्वगन्धा कम पानी की फसल है!
इसमें आप 1 X 1 की  मध्यम ऊंचाई के बेड बना सकते है
वीडियो में दूरी ज्यादा है!
आप और पास पास बेड बना सकते है!

विशेष :-
1.  खेत में समय-समय पर खरपतवार निकालते रहना चाहिए। अश्वगंधा जड़ वाली फसल है इसलिए समय-समय पर निराई-गुडाई करते रहने से जड़ को हवा मिलती रहती है जिसका उपज पर अच्छा प्रभाव पड़ता है।
2- खेत में सिंचाई बीजों के बोने के तुरंत बाद करना चाहिए, जिसके दो लाभ होते हैं, एक तो खेत में नमी पर्याप्त हो जाती है और बीजों का चींटियों के ले जाने से भी रोका जा सकता है। 
3- बीजों को चीटियों से ले जाने से रोकने के लिए खेत के चारो ओर व क्यारियों के चारो तरफ से कीटनाशक पाउडर का इस्तेमाल करना चाहिए। 
4- जब पौधें 10-15 सेमी के हो जाये उसी दौरान ठीक प्रकार से थिनिंग करना चाहिए, जिससे बचे हुए पौधों को पर्याप्त पोषक तत्व मिल सके और शेष पौधों की पैदावार अच्छी हो सके। 
5- उत्तर मैदानी भागों में लगभग एक महीने में एक सिंचाई ही करनी चाहिए। अधिक सिंचाई न करें।
6- यदि पौधौं की पत्तियों में पीलापन हो तो उस समय 2.5- 4 ग्राम प्रति लीटर यूरिया का घोल बनाकर छिड़काव करें। 
7- यदि दीमक का प्रकोप दिखाई दे तो उस दौरान क्लोरोपाइरीफास 2-3 लीटर प्रति हेक्टयर सिंचाई के साथ दें। 
8- यदि पौधों में फफूंद व कीड़ों का प्रकोप हो तो उस समय फफूंदीनाशक (रिडोमिल व कीड़ों के लिए क्षेत्रीय कीटनाशक ) 2.5 ग्राम प्रति लीटर के हिसाब से छिड़काव करने से निजात मिल जाती है।


अश्वगंधा के बीज एवं फसल बेचने के लिए आप हमसे संपर्क कर  सकते है:-


इस विषय पर किसी भी प्रकार की जानकारी के लिए आप कॉल कर सकते है  8235862311
औषधीय खेती विकास संस्थान 
www.akvsherbal.com
सर्वे भवन्तु सुखिनः 


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