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Showing posts from June, 2020

*सर्पगन्धा/शतावरी  की नर्सरी तैयार करने की विधि*

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*सर्पगन्धा की नर्सरी तैयार करने की विधि* 1.सबसे पहले खेत की अच्छी गहरी जुताई कर लेना चाहिए  उसके बाद उसमे खाद गिरवा कर मिलवा देना चाहिए। फिर मिट्टी को बारीक करवाना होता है। 2. जुताई करवाने के बाद उसमे पुनः खाद मिलवाया जाता है। 3.चित्र क्रमांक 3 के अनुसार बेड का निर्माण किया जाता है और  बेड  को पानी लगा कर गिला कर लेना चाहिए जिससे कि उसमे भीतर तक नमी बनी रहे। (पानी आप अंत मे भी लगा सकते है।) 4.बेड पर आधा इंच गहरा और 2 इंच के अंतर पर हल्की लाइन बनाई जाती है। 5. उन्ही लाइनों में बीज़ ( 2 -2 इंच की दूरी पर ) रखा जाता है। 6.बीज़ रखने के बाद उसे  रेत मिट्टी और खाद से भर देना चाहिए। 7.उसके बात बेड को पुआल से ढक कर पानी लगा देना चाहिए। *बीजोपचार*:- बीज़ की बोआई से पहले एक रात के लिए भिगो कर रख दें। सुबह उसी पानी मे 5% नमक मिला कर 2 घण्टे के।लिए बीज़ को पुनः भीगे रहने दे। बीज को निकल कर २ से ३ दिन तक जुट की बोरियो के ऊपर फैला दें और फिर ऊपर से भी एक जुट की बोरी से ढँक दें ,और ऊपर से पानी का छिड़काव हल्का हल्का करते रहे ! छिड़काव मात्र नमी बन...

चिया

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चिया यह एक प्रकार का तुलसी जैसा पौधा होता है इसमे बहुत अधिक मात्रा मे प्रोटीन केल्शियम आयरन मैग्नेशियम तथा ओमेगा -3 फेटी एसीड होता है | जिसके कारण इसका उपयोग दवाईयाँ बनाने में तथा शारीरिक सुंदरता बडाने में किया जाता है | यह वजन कम करने तथा ह्र्दय रोग को दूर करने में भी सहायक होता है इसमे उपस्थित ओमेगा -3 घुटनो के दर्द में भी सहायक होता है। इस पौधे की ऊंचाई लगभग 3-4 फिट तक होती है।       उत्पादन - इसका उत्पादन लगभग 5-6 क्विंटल प्रति एकड़ होता है लगाने क समय तथा तरीका - इसे मुख्यरुप से अक्टूबर महीने में लगाया जाता है | इसे लगाने के लिये खेत को रोटावेटर से तैयार कर लेते है फिर मेड़ बनकार पारियों पर हल्का चीरा लगा देते है । फिर 1600 ग्राम प्रति एकड़ के  हिसाब से चिया बीज लेकर उसमे 10 किलो बालू रेत मिलाकर  मेड़ पर लगाए गए चीरें में बीज हाथ से डाल देते है । बीज डालते समय यह कोशिश करते है कि पौधे से पौधों की  दूरी लगभग 1- 1 फिट रहे । लगभग 7-8 दिन इसमे पौधा बाहर आ जाता है और इसके 10-15 दिन बाद पौधों की छटाई करके दूरी बना लेते है! सि...

Sowing of Ashwagandha

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Sowing of Ashwagandha अश्वगन्धा/ चिया / कलौंजी  के सभी किसान भाई खेत की 2-3 बार जुताई कर लें  साथ ही   गहरी जुताई करवाकर उसमे अच्छी गोबर की खाद मिलवा लें! अश्वगन्धा लगाने की 2 विधि है:- एक जिसमे बीज़ को छिटक कर बोया जाता है:- इस विधि में बीज़ को रात भर के लिए भिगो कर बीजोपचार कर लीजिए सुबह उसे निकाल कर सूखे स्थान पर बिखराकर थोड़ा भरभरा कर लीजिए इस विधि में खेत की तैयारी आप इस प्रकार कर सकते है! पट्टी आप अपने हिसाब से खेती की ढाल के अनुसार बना सकते है ! वैसे 5 फुट की एक पट्टी बनाने से खरपतवार निकलवाने में आसानी होती है ! इस तरह से खेत बना कर आप बीज़ को मिट्टी में मिला कर छिटक सकते है और पानी दे सकते है । यदि पानी की समश्या हो तो क्यारियां या पट्टी की साइज आप छोटी छोटी कर सकते है ।   यदि बीज़ छिड़कने के बाद ऊपर से हल्की बारिश हो जाये तो सोने पर सुहागा है। तब आपको पानी देने की आवश्यकता नही है। दूसरी विधि में आप कुछ ऐसा कर सकते है। जिनके पास ड्रिप है वे इस विधि से लाभ ले सकते है! इस विधि से ज्यादा...

रजनीगंधा की खेती

रजनीगंधा को “निशीगंधा” और “स्वोर्ड लिल्ली” के नाम से भी जाना जाता है| यह एक सदाबाहार जड़ी बूटी वाला पौधा है जिस में फूल की डंठल 75-100 सैं.मी. लम्बी होती हैजो 10-20 चिमनी के जैसे आकार के सफेद रंग के फूल उत्पन करता है| कट फ्लावर दिखने में आकर्षित, ज्यादा समय के लिए स्टोर करके और मीठी सुगंध वाले होते हैं इसलिए इनकाप्रयोग गुलदस्ते बनाने के लिए किया जाता है| इसके खुले फूलों का प्रयोग मालाऔर वेणी बनाने के लिए किया जाता है| यह बैड और गमलेमें उगाने के लिए उचित है और तेल निकालने के लिए प्रयोग किया जाता है| रजनीगंधा की खेती समस्त हलकी से भारी (जो हलकी अम्लीय या क्षारीय है) में की जा सकती है, खेत की अच्छी तैयारी व जल निकास पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। रजनीगंधा के लिये भूमि का चुनाव करते समय दो बातों पर विशेष ध्यान दें। पहला, खेत या क्यारी छायादार जगह पर न हो, यानी जहां सूर्य का प्रकाश भरपूर मिलता हो, दूसरा, खेत या क्यारी में जल निकास का उचित प्रबंध हो। सब से पहले खेत, क्यारी व गमले की मिट्टी को मुलायम व बराबर कर लें। साल भर फूल लेने के लिए प्रत्येक 15 दिन के अन्तराल पर कंद र...