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Showing posts from July, 2020

कैमोमाइल की खेती

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कैमोमाइल की खेती हर्बल-टी आज नए ज़माने की चाय है। इसका बाज़ार अंतरराष्ट्रीय हो चुका है। बाज़ार में तरह तरह की Herbal Tea मिल रही हैं जिसमें कई तरह की जड़ी-बूटियां, फूल, वनस्तियों का इस्तेमाल किया जा रहा है। खास बात ये है कि उत्तराखंड के प्रगतिशील किसान भी हर्बल खेती पर ज्यादा ज़ोर देने लगे हैं। इन्हीं में से कुछ किसानों ने हर्बल टी की चुस्कियों को अपनी तरक्की का जरिया बना लिया। वैसे तो ये फूलों की खेती है। विदेशों में इस फूल को कैमोमाइल टी के नाम से जाना जाता है। इस फूल (चाय) की खेती उत्तराखंड में कई जगह हो रही है। इसके नतीजे लाजवाब आए तो दूसरे किसानों ने भी इसे अपनाना शुरू कर दिया। अब उत्तराखंड के कई किसान इस कैमोमाइल की खेती से मुनाफा कमाने में जुट गए हैं। कैमोमाइल के फूलों से चाय की पत्ती तैयार होती है। बाद में परिपक्व फूलों से ही Chamomile Oil / कैमोमाइल तेल निकाला जाता है। कैमोमाइल तेल आयुर्वेदिक दवाइयां बनाने के काम आता है। कैमोमाइल एक नगदी फसल है। Chamomile Oil बाजार में 60 से 90 हजार रुपये लीटर तक बिकता है। यही नहीं इसके बीज बेचकर भी किसान मुनाफा कमाया जा सकता हैं। दुनि...

कलौंजी (Nigella sativa)

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Nigella Seeds (कलौंजी) कलौंजी (Nigella sativa) को  "Black Cumin" Kalonji  भी कहा जाता है, छोटे काले Kalonji बीज झाड़ियों पर होते है।  जो व्यापक रूप से मध्य भारत में उगाया जाता है। कलौंजी रनुनकुलेसी कुल का झाड़ीय पौधा है, जिसका वानस्पतिक नाम “निजेला सेटाइवा” है, कलौंजी को देश के विभिन्न भागो में सफलतापूर्वक उगाया जा सकता है। इसे मुख्य तौर पर इसके बीजों के लिए उगाते है    जिनका प्रयोग मसाला के रूप में अचार में ,बीजो तथा उनसे तैयार तेल का उपयोग आयुर्वेदिक दवाओं में तथा सुगंध उद्योग में भी किया जाता है। जलवायु: कलौंजी एक ठंढी जलवायु की फसल है। इसे मुख्यता उत्तरी भारत में सर्दी के मौसम में रबी में उगाया जाता है इसकी बुआई व बढवार के समय हल्की ठंठी तथा पकने के समय हल्की गरम जलवायु की जरूरत पड़ती है। भूमि: कलौंजी को जीवांश युक्त अच्छे जल निकास वाली सभी प्रकार की मिट्टी में उगाया जा सकता है। दोमट व बलुई भूमि कलौंजी की फसल उत्पादन के लिए अधिक उपयुक्त है। उचित जल निकास प्रबंध द्वारा इस फसल को भारी भूमि में भी उगाया जा सकता है।  खेत क...