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  *भारत का कीमती ‘लाल सोना’, जिसके इर्दगिर्द घूमती है।   ‘पुष्पा’    : 2021 में इसकी ₹508 Cr की लकड़ियाँ जब्त हुईं, चीन भी दीवाना* अगर आपने अल्लू अर्जुन (Allu Arjun) की हालिया सुपरहिट फिल्म ‘पुष्पा’ (Pushpa) देखी होगी तो आपको पता होगा कि ये फिल्म ‘रक्त चन्दन’ (Red Sanders) के लकड़ियों (Wood) की तस्करी (Smuggling) के इर्दगिर्द घूमती है। बताया गया है कि कैसे आंध्र प्रदेश के घने जंगलों में इसे पाया जाता है और ये करोड़ों में बिकता है। इसे काट कर लाने में काफी मेहनत लगती है। इसमें दिखाया गया है कि कैसे तरह-तरह के तिकड़म आजमा कर तस्कर इसे भारत से बाहर ले जाकर भी बेचते हैं। इसमें पूरा का पूरा ‘सिंडिकेट’ लगा हुआ होता है, जिसमें नेता से लेकर माफिया और कारोबारी तक शामिल होते हैं। ‘अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (International Union for Conservation of Nature) ने ‘रक्त चन्दन’ को विलुप्त होने के कगार पर खड़ी प्रजाति में रखा है। ये पूर्वी घाटों (भारत का पूर्वी तटवर्तीय क्षेत्र) में एक समिति क्षेत्र में ही अब बच गया है। 2018 में इसे ‘लगभग विलुप्त होने का खतरा’ वाली श्रेणी में ...

कैसे कमाए प्रति एकड़ 2.5 से 3 करोड़

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  चंदन की खेती एक नजर में  (How to cultivate to sandalwood plants) कैसे कमाए प्रति एकड़ 2.5 से 3 करोड़ चंदन का परिचय (Introduction of Sandal) सामान्य नाम चंदन अंग्रेजी नाम SANDALWOOD PLANT उच्च वर्गीकरण Santalum वैज्ञानिक नाम Santalum Album Lill समूह वनज पौधा श्रेणी सुगंधीय वनस्पति का प्रकार वृक्ष कुल (family) SANTALACEAE (संतालेऐसी) प्रजाति S Album चंदन की खेती की संपूर्ण जानकारी सामान्य स्वरुप (Common form) यह एक सामान्य वृक्ष है ,इसकी पत्तिया लम्बी होती है व शाखाए लटकत...

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  सभी किसान भाइयों के लिए   खेती के साथ-साथ व्यवसाय का  सुनहरा अवसर ! जुड़िये औषधीय खेती विकास संस्थान से ! पंजीयन शुल्क मात्र 3100/- एक बार   आइये हमारे प्रशिक्षण कैंप में जहाँ आपको मिलेगा औषधीय खेती को नजदीक से जानने का अवसर,क्या उगाये,कब उगाए ,कैसे उगाए , कितना कमाए,कैसे कमाए ,कहाँ बेचे ,कब बेचे , कैसे बेचे , साथ ही कृषि में आने वाली भविष्य की चुनौतियां और उनका समाधान , वो सब कुछ जो आपको कृषि और खेती किसानी के संबंध में जानना चाहिए ! और पाइये एक एकड़ के लिए एक औषधीय फसल का बीज ! साथ ही साक्षात फसलों का निरीक्षण,परीक्षण  करने का अवसर ! इन सब के साथ आपको मिलता है एक व्यावसायिक अवसर भी जिससे जुड़ कर स्वयं आप अपने आर्थिक प्रगति का मार्ग प्रसस्त कर सकते है  जैसे :- औषधीय खेती करवाने का अवसर,बागवानी  जैसे आम अमरुद एवं अन्य फलदार पौधो के विक्रय का अवसर, कृषि वानिकी से जुड़े प्रोजेक्ट जैसे अगरवुड, महोगनी,चन्दन आदि के पौधो के विक्रय का अवसर , जैविक नेनो स्प्रे फ़र्टिलाइज़र एवं बायो डायनेमिक खाद की मार्केटिंग, हेल्थकेयर से जु...

पिप्पली की खेती

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  तमिल भाषा में पिप्पली को आदि मारून्दु अर्थात प्रथम दवाई या मौलिक दवाई कहा गया है जो स्वतः ही पिप्पली की औषधीय महत्ता के साथ-साथ पिप्पली एक महत्वपूर्ण मसाला भी है तथा औद्योगिक उत्पादों के निर्माण में भी इसे प्रयुक्त किया जाता है, उदाहरणार्थ राइस बीयर के किन्वण (फर्मेन्टेशन) हेतु इसका बखुबी उपयोग किया जाता है। पिप्पली के फलों के साथ-साथ इसका मूल जिसे पिप्पलामूल कहा जाता है, भी अनेकों औषधियों के निर्माण में प्रयुक्त किया जाता है। परम्परागत औषधीय उपयोगों में पिप्पली का उपयोग सरदर्द, खांसी, गले से संबंधित बीमारियों, अपच एवं बदहजमी, पेट में गैस की समस्या तथा बवासीर आदि जैसे विकारों के उपचार हेतु प्रयुक्त किया जाता है। पिप्पली के फलों तथा मूल के साथ-साथ इसके पत्तों का उपयोग पान की तरह किया जाता है। पिप्पली मूलतः मलेशिया तथा इंडोनेशिया का पौधा है। इनके साथ-साथ यह नेपाल, श्रीलंका, सिंगापुर, अफगानिस्तान, पाकिस्तान, फिलीपीन्स तथा वर्मा में भी पाया जाता है। भारतवर्ष में यह मुख्यतया उष्ण प्रदेशों तथा ज्यादा वर्षा वाले जंगलों में प्राकृतिक रूप से उगता पाया जाता है। हमारे देश में य...
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  नीलकूपी (Cornflower) क्या है? नीलकूपी एक ऐसी औषधि है जिसमें नीले रंग के फूल आते हैं। इसे कॉर्नफ्लावर भी कहते हैं। इसके सूखे फूलों से दवा बनती है। यह औषध एसिडिक बाग में,अनाज के खेतों में और पर्वतों पर उगता है। इसका साइंटिफक नाम Centaurea Cyanus है। इसके पैदा होने का खास समय जून से अगस्त के बीच का है। यह एक जंगली फूल है जिसका पौधा एक मीटर तक लंबा हो सकता है। यह यूके के साथ-साथ मध्य और दक्षिणी इंग्लैंड में भी यह काफी आम है। इसकी खेती के लिए हल्की रेतली मिट्टटी सबसे उपयुक्त होती है। इसे ब्लूबोटल, कॉर्न-ब्लिंक्स, लैडर लव, लॉगर-हेड्स और ब्लावर्स के नाम से भी जाना जाता है। इसका इस्तेमाल  प्लेग , घाव, बुखार और सूजन के उपचार के लिए किया जाता है। हालांकि, इसका अधिक मात्रा में सेवन करना जीवन के लिए जोखिम भरा भी साबित हो सकता है। औषधि के तौर पर इसके सूखे फूलों का इस्तेमाल किया जाता है। इस औषधीय फूल का इस्तेमाल चाय के तौर पर भी किया जा सकता है। इसका चाय पीने से लिवर और पित्ताशय संबंधित बिमारियों,  मासिक धर्म  संबंधी विकार और  योनि यीस्ट संक्रमण  का उपचार भी किया जा सक...

भुई-आंवला/भूआमलकी

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  भुई-आंवला/भूआमलकी वानस्पतिक नाम :- Phyllanthus riruri Linn, फेमिली :- Euphorbiaceae 2. सामान्य वर्णन :-  वर्षा ॠतु में यत्र तत्र सर्वत्र पाया जाने वाला पौधा कृषि क्षेत्र में एक खरपतवार के रूप में माना जाता है। इसे सामान्यजन हजारदाना/भुईआंवला के नाम से पहचानते है। यह मुख्य रूप से अमरीका का पौधा है तथा विश्‍व के ट्रापिकल व सब-ट्रापिकल देशों में हेपेटाईटिस -बी के फलस्वरूप यकृत की बीमारी को ठीक करने तथा पीलिया, आंतो का संक्रमण, डायबिटीज इत्यादि रोगों को ठीक करने हेतु स्थानीय औषधी के रूप में काम लिया जाता है। यह वर्षाकाल में सभी जगह दिखाई देता है। यह देश के पंजाब, उत्तरप्रदेश, तमिलनाडू, राजस्थान महाराष्ट्र, हरियाणा, नई दिल्ली और सिक्किम राज्यों में विशेष रूप से देखा गया है। 3. मुख्य उपयोग :- 1. नियतकालिक ज्वर प्रतिबन्धक के रूप में उपयोगी है। 2. पंचांगक्वाथ को शीत ज्वर में प्रयोंग करने दस्त साफ होकर पसीना आता है। 3. यकृत एवम् प्लीहा की वृद्वि कम होती है। 4. मूत्रल होने पर पेशाब का प्रमाण बढ़ता है और जलन कम होती है। 5. प्रमेह, मूत्रदोष, रक्त विकार, क्षत, तृषा, क्षय आदि रोगों मे उपयो...